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कवितानज़्म
ख़्वाब आता नहीं है तस्वीर -ए-तसव्वुर बन नहीं पाती दरकती हुई बुनियाद पर कभी इमारत उभर नहीं पाती सोच बड़ी है ना ख़्याल बड़ा है "बशर" बेसबब खड़ा है मंज़िल - ए - मक़्सूद उस को मिल उम्र -भर नहीं पाती ©️"बशर"