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मंज़िल-ए-मक़्सूद - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मंज़िल-ए-मक़्सूद

  • 92
  • 2 Min Read

ख़्वाब आता नहीं है तस्वीर -ए-तसव्वुर बन नहीं पाती
दरकती हुई बुनियाद पर कभी इमारत उभर नहीं पाती
सोच बड़ी है ना ख़्याल बड़ा है "बशर" बेसबब खड़ा है
मंज़िल - ए - मक़्सूद उस को मिल उम्र -भर नहीं पाती
©️"बशर"

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