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सिलवटें फिर संवार रहा हूँ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सिलवटें फिर संवार रहा हूँ

  • 10
  • 1 Min Read

उतारा हुआ बोझ फिर उतार रहा हूँ
गुजारा हुआ दिन फिर गुजार रहा हूँ
वही खटिया वही तकिया वही बिस्तर
संवारी हुई सिलवटें फिर संवार रहा हूँ
@ "बशर"

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