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मुकद्दर को बदलने की ख़्वाहिश रखते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुकद्दर को बदलने की ख़्वाहिश रखते हैं

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हम ख़्वाब को हक़ीक़त में बदलने की ख़्वाहिश रखते हैं
बहिश्त में जाकर भी उन से मिलने की ख़्वाहिश रखते हैं
लिखा होगा हाथों की लकीरों में फ़िराक़ - ए - हबीब मिरे
हम मग़र अपने मुकद्दर को बदलने की ख़्वाहिश रखते हैं
© 'बशर' بشر.

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