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कोई फसल न लहलहाई - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

कोई फसल न लहलहाई

  • 38
  • 1 Min Read

प्यार की हवाएं भी चलीं मुहब्बत की बरसात भी बार-बार आई
बेज़ार दिलों की बंजर ज़मीन पर मग़र कोई फसल न लहलहाई
© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"

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